बस इतना अरमान हैं-21-Jan-2023
प्रतियोगिता
विषय :- स्वैच्छिक
विधा :- गीत
शीर्षक:- बस इतना अरमान है।
सा-धन सा साधन ना कोई,
ना ही कोई ज्ञान है।
इस असार संसार में मेरा,
साथी इक विद्वान है।
1
नैया भवसागर में डाली,
किंतु हाथ पतवार नहीं।
निराधार आधार ढूंढता,
मेरा कोई आधार नहीं।
मेरी जर्जर नैया का तो,
तारणहार भगवान है।
2
धन की धारणा धर्म बिगाड़े,
इसीलिए धनवान नहीं।
ज्ञान से भक्ति हो नहीं सकती,
इसीलिए विद्वान नहीं।
पल-पल प्रभु के पग में बीते,
बस इतना अरमान है।
3
जब आया था नाम नहीं था,
अब तो मेरा नाम है।
जब आया था काम नहीं था,
अब तो काम ही काम है।
नाम काम दोनों हो सास्वत,
बस इतना ही ध्यान है।
4
कोई चाहता तन हो सुंदर,
कोई धन की चाहे करे।
तन व धन दोनों हैं नश्वर,
विनोदी क्यों परवाह करे।
मैं सेवक स्वामी है रघुवर,
मुझको यह अभिमान है।
विनोदी महाराजपुरी
Renu
23-Jan-2023 03:58 PM
👍👍🌺
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अदिति झा
22-Jan-2023 04:16 PM
Nice 👍🏼
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Shashank मणि Yadava 'सनम'
22-Jan-2023 08:34 AM
बेहतरीन बेहतरीन बहुत ही सुंदर सृजन,
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